Tuesday, February 17, 2015

Shayari of the Day

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता

जिसे भी देखिये वो अपने आप में गुम है
ज़ुबाँ मिली है मगर हमज़ुबाँ नहीं मिलता

बुझा सका है भला कौन वक्त के शोले
ये ऐसी आग है जिस में धुँआ नहीं मिलता

तेरे जहाँ में ऐसा नहीं के प्यार न हो
जहा उम्मीद हो इसकी वहा नहीं मिलता

गीतकार : निदा फाझली,
 गायक : भूपेंद्र, संगीतकार : खय्याम,
चित्रपट : आहिस्ता आहिस्ता

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