कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता जिसे भी देखिये वो अपने आप में गुम है ज़ुबाँ मिली है मगर हमज़ुबाँ नहीं मिलता बुझा सका है भला कौन वक्त के शोले ये ऐसी आग है जिस में धुँआ नहीं मिलता तेरे जहाँ में ऐसा नहीं के प्यार न हो जहा उम्मीद हो इसकी वहा नहीं मिलता गीतकार : निदा फाझली, गायक : भूपेंद्र, संगीतकार : खय्याम, चित्रपट : आहिस्ता आहिस्ता
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